Thursday, 18 October 2012

5 कालचक्रप्रवर्तको महाकाल: प्रतापन:।
.............................................- वराहपुराण

(कालचक्र के प्रवर्तक प्रतापी महाकाल को नमन है।)

6 सौराष्ट्रे सोमनाथंच श्री शैले मल्लिकार्जुनम् ।
...............उज्जयिन्यां महाकालमोंकारममलेश्वरम् ॥
...............केदारे हिगवत्पृष्ठे डाकिन्यां भीमशंकरम् ।
...............वाराणस्यांच विश्वेशं त्र्यम्बंक गौतमी तटे ।
...............वै
द्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारुकावने ।
...............सेतुबन्धे च रामेशं घृष्णेशंच शिवालये ।
................एतानि ज्योतिर्लिंगानि प्रातरुत्थाय य: पठेत् ।
................जन्मान्तर कृत पापं स्मरणेन विनश्यति ॥

(सौराष्ट्र में सोमनाथ (1), श्री शैल पर मल्लिकार्जुन (2) उज्जैन में महाकाल (3), डाकिनी में भीमशंकर (4), परली में वैद्यनाथ (5), ओंकार में ममलेश्वर (6), सेतुबन्ध पर रामेश्वर (7), दारुकावन में नागेश (8), वाराणसी में विश्वनाथ (9), गोमती तट पर त्र्ययम्बक (10), हिमालय में केदार (11), और शिवालय में घृष्णेश्वर (12) का नित्य प्रात: उठकर स्मरण करें तो जन्मान्तर के संग्रहित पापों का नाश हो जाता है।)

No comments:

Post a Comment