Friday, 19 October 2012

7 आज्ञा चक्रस्मृता काशी या बालाश्रुतिमूर्धनि ।
...............स्वाधिष्ठानं स्मृताकांचि मणिपुरमवन्तिका ॥
...............नाभिदेशे महाकाल स्तन्नाम्ना तत्र वैहर: ॥ 
.............................................- वराहपुराण

नाभि ही योगियों के लिये कुण्डलिनी है । कुण्डलिनी जाग्रत करने की क्रिया योगक्षेत्र में महत्वपूर्ण मानी जाती है । अत: नाभीस्थल पर स्थित भगवान महाकाल योगियों के लिये सिध्दिप
ीठ है । यहाँ आने वाले आस्थावान यात्रीगण इस सिध्दस्थान पर भगवान की पूजा-अर्चना करके अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं।

8 नमोऽस्तु रूद्रेभ्यो से पृथिव्यां येषामन्नमिषव: तेभ्योदश
...............प्राचीर्दश दक्षिणा दश प्रतीचीर्दशोदीचीर्दशोर्ध्वा:।
...............तेभ्यो नमो अस्तु ते नोऽवन्तु ते नो मृडयन्तु ते
...............स्त्रन्दिुष्मो यश्च नो द्वेष्टि तमेषां जम्भे दध्य:॥

रूद्रों की नमन करता हूँ जो पृथ्वी पर स्थित है और उनके बाण अन्न हैं। उन रूद्रों को पूर्व, दक्षिण, पश्चिम, उत्तर, ऊर्ध्व दिशाओं में हाथ जोड़कर नमस्कार करता हूँ । वे रूद्र हमारी रक्षा करें हमारा कल्याण करें।हमारा जिनसे और जिनका हम से द्वेष भाव है, उन्हें हम इन रूद्रों के मुख में रखते हैं।

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