Friday, 19 October 2012

आलस्य में न पड़े

उत्साह, चुस्त स्वभाव और समय की पाबंदी यह तीन गुण बुद्धि बढ़ाने के
लिए अद्वितीय कहे गये हैं। इनके द्वारा इस प्रकार के अवसर अनायास
ही होते रहते हैं, जिनके कारण ज्ञानभंडार में अपने आप वृद्धि होती है। एक
विद्वान् का कथन है -“क
ोई व्यक्ति छलांग मारकर महापुरुष नहीं बना
जाता, बल्कि उसके और साथी जब आलस में पड़े रहते हैं, तब वह रात
में भी उन्नति के लिये प्रयत्न करता है।

आलसी घोड़े की अपेक्षा उत्साही गधा ज्यादा काम कर लेता है ।
एक दार्शनिक का कथन है – “यदि हम अपनी आयु नहीं बढ़ा सकते तो
जीवन की उन्हीं घड़ियों का सदुपयोग करके बहुत दिन जीने से अधिक काम
कर सकते हैं ।

चींटी के पाँव, पाँव में पायल, पायल में घुंघरू, घुंघरू की आवाज भी वो सुनता है l "परमात्मा" बहरा नहीं है 

No comments:

Post a Comment